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गुरुवार, 1 जुलाई 2010

नज़्म -२

आज बादल हैं, बारिश है... तन्हाई है,
ये भीगी हुई रात का सितम
पहलु में सिर्फ़ एक ख्वाब है...
जिसकी ताबीर मुमकिन नहीं...
जिंदगी फकत एक दिलनशीं फ़रेब...
आँसूओं की तसीर भी तो मुमकिन नहीं...
इश्क-ए-ईमान किस पर लाऊं अब दोस्तों...
मेरा हबीब भी मुझसा गमगीन नहीं

27.06.2010.

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