प्रेमचंद जयंती पर प्रलेस इंदौर ने किया नाटक और परिचर्चा का आयोजन
- अभय नेेमा
इंदौर।
प्रेमचंद की कहानियों का रचनाकाल कोई 70 साल पहले का है और उनकी कहानियां
आज भी समीचीन हैं। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में सांप्रदायिक सद्भाव और
दलित उत्पीड़न के जिस मसले को उठाया था वह आज भी समाज में मौजूद हैं।
प्रेमचंद ने अपने समय में दलितों की सामाजिक और आर्थिक बदहाली का जिक्र
किया था वह आजादी के बाद भी न केवल बनी हुई है अब उसे और पुख्ता करने का
प्रयास किया जा रहा है। यह बात प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य और स्वतंत्र
पत्रकार जावेद आलम ने महान उपन्यासकार और कहानीकार तथा प्रगतिशील लेखक संघ
के संस्थापक प्रेमचंद की जयंती पर 31 जुलाई को आयोजित कार्यक्रम में कही।
प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई ने वर्चुअल वोयेज कालेज के सहयोग से
प्रेमचंद की कहानियों के नाट्य रूपांतरण और प्रेमचंद के कृतित्व पर
परिचर्चा आयोजित की थी।
वर्चुअल
वोयेज कालेज में आयोजित इस कार्यक्रम में जावेद आलम ने कहा कि पंचपरमेश्वर
में सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल मिलती है तो कफन और ठाकुर का कुआं जैसी
कहानियों में तत्कालीन समय में दलित समुदाय की दुर्दशा का वर्णन मिलता है।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि समाज की विसंगतियों के देखने के लिए
उन्हें गांव जाना चाहिए और हमारे देश की बुनियादी समस्याओं को समझने के लिए
उन्हें प्रेमचंद के साहित्य का पठन जरूर करना चाहिए जो कि इंटरनेट पर
उपलब्ध है।
कहानीकार
रवींद्र व्यास ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां व्यक्ति विशेष का दर्शन
नहीं है, बल्कि उस वक्त की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था पर तीखी
टिप्पणी है। प्रेमचंद अपने कथा संसार में बड़े रचनात्मक ढंग से प्रगतिशील
विचार का प्रतिफलन करते हैं। कफन में वे जमींदारी और सामंतवादी व्यवस्था
में एक दलित व्यक्ति का अमानवीयकरण देखते हैं। इसी तरह से पंच परमेश्वर में
वे न्याय प्रक्रिया को जाति और धर्म के बरक्स देखते हैं। पंच की कुर्सी पर
बैठने वाला किस तरह से किसी जाति और धर्म का न होकर सिर्फ न्यायाधीश रह
जाता है आज के संदर्भ में प्रेमचंद द्वारा यह सत्ता द्वारा न्यायिक
व्यवस्था का इस्तेमाल करने पर तीखी टिप्पणी है। इसी तरह से ईदगाह नामक
कहानी में एक बच्चे का बाजार के प्रति प्रतिरोध दिखाई देता है। उसे बाजार
के सारे प्रलोभन खिलौने, मिठाइयां, कपड़ों, झूलों के बजाए अपनी दादी के हाथ
जलने का ख्याल आता है और वह उनके लिए चिमटा खरीदता है। प्रगतिशील मूल्य
प्रेमचंद की रचनाओं में नारे की तरह नहीं बल्कि नेरेशन में आते हैं। उनकी
कहानियों उपन्यासों में नियंत्रित, संयमित करुणा व्यक्त हुई है।
इस
अवसर पर वर्चुएल वोयेज के पर्फार्मिंग आर्ट विभाग के विद्यार्थियों ने
प्रेमचंद की कहानी कफन और पंच परमेश्वर पर नाटक प्रस्तुत किया।
विद्यार्थियों
ने कफन और पंच परमेश्वर कहानी के मर्म को आत्मसात करते हुए अपने शानदार
अभिनय, संवाद से लोगों का दिल जीत लिया। नाटकों का निर्देशन परफार्मिंग
आर्ट विभाग के प्रमुख गुलरेज खान ने किया। नाटक का पार्श्व संगीत व
कास्ट्यूम दर्शकों का ध्यान खींचने में सफल रहा।
कार्यक्रम
में प्रगतिशील लेखक संघ इंदौर के सचिव अभय नेमा, रामआसरे पांडे, उपाध्यक्ष
चुन्नीलाल वाधवानी, हुकमतराय, सुरेश उपाध्याय, तौफीक, पीयूष भट्ट, भारत
सक्सेना उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन इप्टा की इंदौर से जुड़ी सारिका
श्रीवास्तव ने किया। आभार मानते हुए रामआसरे पांडे ने वर्चुअल वोयेज कालेज
के प्रबंधन और विद्यार्थियों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
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9977446791
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