tag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post1808131236298298301..comments2023-09-28T20:55:43.552+05:30Comments on शब्दों के माध्यम से: पहले दिनों जैसा प्यार...शेखर मल्लिकhttp://www.blogger.com/profile/07498224543457423461noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-70495804080851273622010-11-12T00:28:01.368+05:302010-11-12T00:28:01.368+05:30प्रेम के गहरे भावों की निश्छल अभिवक्ति की ये कवित...प्रेम के गहरे भावों की निश्छल अभिवक्ति की ये कविता गहरे प्रभावित कर जाती है.प्रेम की इमानदार स्वीकारोक्ति और उसके पहले जैसा न रह पाने का दुःख स्वाभाविकतः एक टीस जगाता है. रेत का मुट्ठी से फिसलते जाने जैसा प्यार का एहसास पूरा बांध -समेट लेने की कवायद करती ये पंक्तियाँ जीवनानुभवों का सहज कहन हैं ,भाषाई सादगी देखते ही बनती है ,भाव -कथ्यानुरूप .बधाई शेखर भाई .एक उम्दा कविता .Brajesh Kumar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/07861200818432210470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-63311843350723976992010-11-10T10:49:52.001+05:302010-11-10T10:49:52.001+05:30बहुत बढ़ियाबहुत बढ़ियापारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-65817455274320170722010-10-26T12:03:51.211+05:302010-10-26T12:03:51.211+05:30गज़ब की रचना ज़िन्दगी की सच्चाई को बयाँ करती हुयी………...गज़ब की रचना ज़िन्दगी की सच्चाई को बयाँ करती हुयी………………इस विषय पर काफ़ी कुछ कहा जा सकता है………………बहुत सुन्दर लिखा है दिल मे उतर गया।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-28573835501427527492010-10-26T08:17:36.632+05:302010-10-26T08:17:36.632+05:30achchhi prastutiachchhi prastutiAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-44260657042697880702010-10-25T17:49:54.938+05:302010-10-25T17:49:54.938+05:30प्यार के शुरुवाती दिन सचमुच में प्यारे होते हैं.....प्यार के शुरुवाती दिन सचमुच में प्यारे होते हैं...लेकिन प्यार तो तभी मुकम्मल होता है जो जिन्दगी भर साथ चले...जहान तक कविता के शिल्प का सवाल है तो मुझे इसे लेकर कुछ नहीं कहना...क्योंकि मुझे वप कविता हर शिल्प से परे नज़र आती है जो अपनी बात सीधे सीधे दिल में अतर कर कह दे....कविता अच्छी है...और रोज ब रोज आपकी कविता अपना रंग और गाढ़ा करती जा रही है...anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.com