tag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post4385058723723026167..comments2023-09-28T20:55:43.552+05:30Comments on शब्दों के माध्यम से: मेरी कविता में वह सब क्यों नहीं थाशेखर मल्लिकhttp://www.blogger.com/profile/07498224543457423461noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-58513139676963176532010-11-26T19:02:15.850+05:302010-11-26T19:02:15.850+05:30संवेदन शील मन की रचना है
अच्छा है कि यह संवेदना ...संवेदन शील मन की रचना है <br /><br />अच्छा है कि यह संवेदना बची रहे।प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-77931480525644971662010-11-25T15:23:44.778+05:302010-11-25T15:23:44.778+05:30संवेदनशील मन की यही व्यथा है ....
सुंदरता है नहीं ...संवेदनशील मन की यही व्यथा है ....<br />सुंदरता है नहीं तो कहाँ से कविता कहानियों में सौंदर्य रचा जाए...<br />बहुत गंभीर बात....<br />सत्य से साक्षात्कार करती सार्थक रचना!<br />आभार!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7726689584860904227.post-19124191786419152782010-11-25T12:36:35.569+05:302010-11-25T12:36:35.569+05:30ैइसलिये क्षमा करें………………बयान हो गया
सारा सार यहां ...ैइसलिये क्षमा करें………………बयान हो गया<br />सारा सार यहां आ गया और अब कहने को कुछ नही बचा ……………बेहद उम्दा प्रस्तुति …………शायद यही हर संवेदनशील दिल का हाल है ।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com