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शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

सिर्फ़ हँसना या मज़ाक करना व्यंग्य नहीं

प्रगतिशील लेखक संघ, इंदौर ईकाई
प्रलेस ने याद किया हरिशंकर परसाई को
- केसरी सिंह चिडार

इंदौर, 22 अगस्त। प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर ईकाई और आईबीएसएस विद्या निकेतन की ओर से शुक्रवार को हिंदी के महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्म दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में छात्राओं कुमारी मीनल वर्मा, कशिश हार्डिया और प्राची मौर्या ने परसाई के सृजन एवं साहित्य पर अपने-अपने विचार रखे। मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव विनीत तिवारी ने कहा कि परसाई के व्यंग्य महज हंसाते नहीं थे, बल्कि वे सोचने और हालात को बदलने के लिए प्रेरित भी करते थे। उन्होंने कहा कि असल में व्यंग्य का मुख्य काम भी बदलाव के लिए लोगों को प्रेरित करना है। आईबीएसएस के संचालक मंडल की ओर से श्री एस. के. दुबे ने हरिशंकर परसाई के लेखन के महत्व पर चर्चा की और बताया कि किस तरह उनके लेखन से समाज और शासन अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होता था। आईबीएसएस की प्राचार्या सुश्री गीता सोनवणे ने प्रगतिशील  लेखक संघ के अतिथियों का स्वागत करते हुए स्कूल की गतिविधियों की जानकारी दी।

इस अवसर पर प्रलेसं के सचिव अभय नेमा ने परसाई की व्यंग्य रचनाओं ‘रोटी’ और ‘खेती’ का पाठ किया। विनीत तिवारी ने परसाई की रचना ‘एकलव्य ने गुरु को अंगूठा दिखाया’ का पाठ किया। इस व्यंग्य में परसाईजी ने इतिहास के माध्यम से वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में मौजूद खामियों और भ्रष्टाचार पर रोचक अंदाज़ में प्रहार किया है।  बच्चों को परसाई के व्यंग्य बहुत पसंद आये। विनीत तिवारी ने बताया कि किस तरह परसाईजी ने प्रेमचंद की समाजोन्मुख साहित्य की परंपरा को आगे बढ़ाया। प्रलेस की इंदौर ईकाई के केसरी सिंह चिडार ने स्वरचित बच्चों की कविताएं ‘चूहा राम का फोन’ एवं ‘कद्दू काका का ब्याह’ सुनाई। विद्या निकेतन की शिक्षिका सुचित्रा कापसे ने परसाई जी की व्यंग्य रचना ‘अच्छा बेवकूफ’ का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन विशी वर्मा एवं कुणाल ने किया। धन्यवाद प्राचार्या सुश्री गीता सोनवणे ने दिया।

इस मौके पर प्रलेसं इंदौर के अध्यक्ष श्री एस. के. दुबे और वरिष्ठ साहित्यकार राम आसरे पांडे के अलावा आईबीएसएस विद्यालय के सभी शिक्षकगण मौजूद थे।

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