गौरी लंकेश की स्मृति में प्रतिरोध सभा में लिया संकल्प - अब बर्दाश्त और नहीं।
- विनीत तिवारी और सारिका श्रीवास्तव
इंदौर। 5 सितम्बर 2017 को बेंगलुरु की पत्रकार एवं सम्पादक सुश्री गौरी लंकेश की सम्प्रदायवादियों द्वारा हत्या कर दी गई। इसके प्रति अपना गुस्सा और आक्रोश दर्ज करने 7 सितम्बर 2017 को शाम 5 बजे से इंदौर में रीगल चौराहे, गाँधी प्रतिमा पर करीब 400-450 लोग एकत्रित हुए।
दाभोलकर, पानसरे और कलबुर्गी की हत्या के बाद इस चौथी हत्या से लोगों में इतना आक्रोश था कि अकेले इंदौर शहर में ही श्रद्धांजलि के तीन अलग-अलग कार्यक्रम हुए। जिसमें से दो कार्यक्रम तो दो अलग-अलग प्रेस क्लब के ही थे।
शहर के अनेक लोगों को श्रद्धांजलि सभा से संतोष नहीं था सो अलग-अलग राजनीतिक दल और संगठन सड़क पर आए और लगातार हो रहे विचारों पर हमले के विरोध में एकजुट होकर करीब दो घण्टे का मौन प्रदर्शन किया, जनगीत गाए और मोमबत्ती जला कर उन्हें अपने जज्बे और दुख की सलामी दी।
करीब तीन दशकों से अपने रहने, खाने, कमाने और वजूद के लिए सतत आंदोलन कर रहे नर्मदा आंदोलन के साथी जिनकी आज के ही दिन कई केसों में से एक केस की सुनवाई थी और साथ ही एन सी ए में हो रहे भ्रष्टाचार से निपटने और उन्हें यह समझाने कि हम गाँव में रहने वाले किसान, मजदूर, मछुआरे लोग जरूर हैं लेकिन समझदार हैं और आपके हर तरह के भ्रष्टाचार पर नजर रखे हुए हैं। सो अपने केस की सुनवाई के साथ ही साथ वे एन सी ए से आमने-सामने बैठ दो-टूक बात करने के लिए मेधा पाटकार के साथ इंदौर आए थे। इस विरोध प्रदर्शन का महत्त्व तब और ज्यादा बढ़ गया जब मेधा औऱ नर्मदा आंदोलन के साथियों को हमने अपने इस विरोध प्रदर्शन की इत्तला दी तो मेधा अपने करीब 200 से 250 साथियों के साथ इस प्रदर्शन में शरीक हुईं।
और साथ ही बड़ी संख्या में शरीक हुए शहर के युवा, महिलाएँ और बच्चे। इस विरोध प्रदर्शन में शहर के वरिष्ठ एवं गणमान्य नागरिक, कुछ ऐसे साथी जिनका स्वास्थ्य खराब था लेकिन तब भी वे उस हालत में भी इसमें शरीक हुए और अपना गुस्सा एवम नाराजगी दर्ज कराई। कॉमरेड पेरिन दाजी, कॉम वसन्त शिंत्रे, इप्टा इंदौर के संस्थापक और वरिष्ठ वकील आनंद मोहन माथुर जैसे वरिष्ठ साथी जो खड़े हो सकने में भी असमर्थ थे तब भी शरीक हुए और युवा साथियों ने भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनके बैठने हेतु स्टूल की व्यवस्था की। और शैला शिंत्रे, कल्याण जैन के साथ-साथ नर्मदा आंदोलन की जुझारू साथी मेधा पाटकर भी अपने आंदोलन के साथियों के साथ पूरे समय उपस्थित रहीं। जोशी एन्ड अधिकारी रिसर्च इंस्टीट्यट, दिल्ली की प्रमुख एवम सामाजिक अर्थशास्त्री जया मेहता, स्वास्थ्य के मुद्दों और ड्रग ट्रायल की डरावनी सच्चाई को सामने लाने वाली और महिलाओं के आंदोलन से जुड़ी कल्पना मेहता, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव कॉम विनीत तिवारी भी सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। इनके अलावा सीपीआई के जिला सचिव कॉमरेड रुद्रपाल यादव, कैलाश गोठानिया, कॉम दशरथ; सी.पी.एम. से कॉम अरुण चौहान, के.के.मिश्रा; एस यू सी आई से कॉम प्रमोद नामदेव, इसी के महिला संगठन से अर्शी; समाजवादी पार्टी से रामस्वरूप मंत्री; प्रगतिशील लेखक संघ से केसरीसिंह चिढार, चुन्नीलाल वाधवानी, मुकेश पाटीदार; मध्य प्रदेश भारतीय महिला फेडरेशन की महासचिव सारिका श्रीवास्तव, इसी की इंदौर इकाई की सचिव नेहा दुबे और अन्य सदस्य सुलभा लागू, पँखुरी, कामना, सुधा कोठारी; भारतीय जन नाट्य संघ से विजय दलाल, प्रमोद बागड़ी, अरविंद पोरवाल; रूपांकन से अशोक दुबे, दीपिका, विकी; नर्मदा घाटी आंदोलन के साथी रहमत, हिम्शी, देवराम भाई, कमलू दीदी, चिन्मय एवम सरोज मिश्र; जनवादी लेखक संघ से रजनीरमण शर्मा, परेश टोककर, सुरेश उपाध्याय; भगतसिंह दीवाने ब्रिगेड से विजय जाटव, शादाब गौरी, शाहरुख; कुछ पत्रकार, कार्टूनिस्ट और कलाकार साथी दीपक असीम, सौरभ बनर्जी, नवनीत शुक्ला, गिरीश मालवीय, हेमन्त मालवीय, सुन्दर गुर्जर; सदभावना एवं शांति एकजुटता संगठन से शफी शेख, मुस्ताख़ भाई बड़नगर वाला; आम आदमी पार्टी से युवराज सिंह और उनके साथी, फ़ाईन आर्ट कॉलेज के विद्यार्थी, पाशा मियाँ इत्यादि भी शरीक हुए।
लोगों की ये उपस्थिति उनके अंदर छुपे आक्रोश को दर्शाती है। ये उपस्थिति ये बताती है कि दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश को एक-एक कर खोने के बाद अब और नहीं। अब तक हम चुप थे और मौन भी लेकिन अब हम अपना ये मौन तोड़ते हुए आपको चेता रहे हैं कि अब हम अपने और साथियों को नहीं खोएंगे।
इस मामले में अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले अनेक राजनीतिक दलों के लोग जिसमें सन्दर्भ केन्द्र, भारतीय जन नाट्य संघ, भारतीय महिला फेडरेशन, प्रगतिशील लेखक संघ, सी.पी.आई., सी.पी.आई.(एम), जनवादी लेखक संघ, रूपांकन, एस. यू. सी. आई.(सी), भगत सिंह दीवाने ब्रिगेड, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सामाजिक एवं कलाकारों के संगठन और शहर के अनेक शांति एवं न्यायप्रिय और संवेदनशील नागरिक शरीक हुए।
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- विनीत तिवारी और सारिका श्रीवास्तव
इंदौर। 5 सितम्बर 2017 को बेंगलुरु की पत्रकार एवं सम्पादक सुश्री गौरी लंकेश की सम्प्रदायवादियों द्वारा हत्या कर दी गई। इसके प्रति अपना गुस्सा और आक्रोश दर्ज करने 7 सितम्बर 2017 को शाम 5 बजे से इंदौर में रीगल चौराहे, गाँधी प्रतिमा पर करीब 400-450 लोग एकत्रित हुए।
दाभोलकर, पानसरे और कलबुर्गी की हत्या के बाद इस चौथी हत्या से लोगों में इतना आक्रोश था कि अकेले इंदौर शहर में ही श्रद्धांजलि के तीन अलग-अलग कार्यक्रम हुए। जिसमें से दो कार्यक्रम तो दो अलग-अलग प्रेस क्लब के ही थे।
शहर के अनेक लोगों को श्रद्धांजलि सभा से संतोष नहीं था सो अलग-अलग राजनीतिक दल और संगठन सड़क पर आए और लगातार हो रहे विचारों पर हमले के विरोध में एकजुट होकर करीब दो घण्टे का मौन प्रदर्शन किया, जनगीत गाए और मोमबत्ती जला कर उन्हें अपने जज्बे और दुख की सलामी दी।
करीब तीन दशकों से अपने रहने, खाने, कमाने और वजूद के लिए सतत आंदोलन कर रहे नर्मदा आंदोलन के साथी जिनकी आज के ही दिन कई केसों में से एक केस की सुनवाई थी और साथ ही एन सी ए में हो रहे भ्रष्टाचार से निपटने और उन्हें यह समझाने कि हम गाँव में रहने वाले किसान, मजदूर, मछुआरे लोग जरूर हैं लेकिन समझदार हैं और आपके हर तरह के भ्रष्टाचार पर नजर रखे हुए हैं। सो अपने केस की सुनवाई के साथ ही साथ वे एन सी ए से आमने-सामने बैठ दो-टूक बात करने के लिए मेधा पाटकार के साथ इंदौर आए थे। इस विरोध प्रदर्शन का महत्त्व तब और ज्यादा बढ़ गया जब मेधा औऱ नर्मदा आंदोलन के साथियों को हमने अपने इस विरोध प्रदर्शन की इत्तला दी तो मेधा अपने करीब 200 से 250 साथियों के साथ इस प्रदर्शन में शरीक हुईं।
और साथ ही बड़ी संख्या में शरीक हुए शहर के युवा, महिलाएँ और बच्चे। इस विरोध प्रदर्शन में शहर के वरिष्ठ एवं गणमान्य नागरिक, कुछ ऐसे साथी जिनका स्वास्थ्य खराब था लेकिन तब भी वे उस हालत में भी इसमें शरीक हुए और अपना गुस्सा एवम नाराजगी दर्ज कराई। कॉमरेड पेरिन दाजी, कॉम वसन्त शिंत्रे, इप्टा इंदौर के संस्थापक और वरिष्ठ वकील आनंद मोहन माथुर जैसे वरिष्ठ साथी जो खड़े हो सकने में भी असमर्थ थे तब भी शरीक हुए और युवा साथियों ने भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनके बैठने हेतु स्टूल की व्यवस्था की। और शैला शिंत्रे, कल्याण जैन के साथ-साथ नर्मदा आंदोलन की जुझारू साथी मेधा पाटकर भी अपने आंदोलन के साथियों के साथ पूरे समय उपस्थित रहीं। जोशी एन्ड अधिकारी रिसर्च इंस्टीट्यट, दिल्ली की प्रमुख एवम सामाजिक अर्थशास्त्री जया मेहता, स्वास्थ्य के मुद्दों और ड्रग ट्रायल की डरावनी सच्चाई को सामने लाने वाली और महिलाओं के आंदोलन से जुड़ी कल्पना मेहता, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव कॉम विनीत तिवारी भी सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। इनके अलावा सीपीआई के जिला सचिव कॉमरेड रुद्रपाल यादव, कैलाश गोठानिया, कॉम दशरथ; सी.पी.एम. से कॉम अरुण चौहान, के.के.मिश्रा; एस यू सी आई से कॉम प्रमोद नामदेव, इसी के महिला संगठन से अर्शी; समाजवादी पार्टी से रामस्वरूप मंत्री; प्रगतिशील लेखक संघ से केसरीसिंह चिढार, चुन्नीलाल वाधवानी, मुकेश पाटीदार; मध्य प्रदेश भारतीय महिला फेडरेशन की महासचिव सारिका श्रीवास्तव, इसी की इंदौर इकाई की सचिव नेहा दुबे और अन्य सदस्य सुलभा लागू, पँखुरी, कामना, सुधा कोठारी; भारतीय जन नाट्य संघ से विजय दलाल, प्रमोद बागड़ी, अरविंद पोरवाल; रूपांकन से अशोक दुबे, दीपिका, विकी; नर्मदा घाटी आंदोलन के साथी रहमत, हिम्शी, देवराम भाई, कमलू दीदी, चिन्मय एवम सरोज मिश्र; जनवादी लेखक संघ से रजनीरमण शर्मा, परेश टोककर, सुरेश उपाध्याय; भगतसिंह दीवाने ब्रिगेड से विजय जाटव, शादाब गौरी, शाहरुख; कुछ पत्रकार, कार्टूनिस्ट और कलाकार साथी दीपक असीम, सौरभ बनर्जी, नवनीत शुक्ला, गिरीश मालवीय, हेमन्त मालवीय, सुन्दर गुर्जर; सदभावना एवं शांति एकजुटता संगठन से शफी शेख, मुस्ताख़ भाई बड़नगर वाला; आम आदमी पार्टी से युवराज सिंह और उनके साथी, फ़ाईन आर्ट कॉलेज के विद्यार्थी, पाशा मियाँ इत्यादि भी शरीक हुए।
लोगों की ये उपस्थिति उनके अंदर छुपे आक्रोश को दर्शाती है। ये उपस्थिति ये बताती है कि दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश को एक-एक कर खोने के बाद अब और नहीं। अब तक हम चुप थे और मौन भी लेकिन अब हम अपना ये मौन तोड़ते हुए आपको चेता रहे हैं कि अब हम अपने और साथियों को नहीं खोएंगे।
इस मामले में अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले अनेक राजनीतिक दलों के लोग जिसमें सन्दर्भ केन्द्र, भारतीय जन नाट्य संघ, भारतीय महिला फेडरेशन, प्रगतिशील लेखक संघ, सी.पी.आई., सी.पी.आई.(एम), जनवादी लेखक संघ, रूपांकन, एस. यू. सी. आई.(सी), भगत सिंह दीवाने ब्रिगेड, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सामाजिक एवं कलाकारों के संगठन और शहर के अनेक शांति एवं न्यायप्रिय और संवेदनशील नागरिक शरीक हुए।
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