इकाई स्तर पर सक्रियता और जन संस्कृति के प्रसार के संकल्प के साथ आयोजित प्रलेस की राज्य कार्यकारिणी बैठक एवं कवि गोष्ठी सम्पन्न*
देवास, 4 फरवरी, 2019
साहित्य, संस्कृति और कला के प्रश्नों पर निरंतर सक्रिय मप्र प्रगतिशील लेखक संघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक देवास के चामुण्डा कॉम्प्लेक्स में स्थित ईटी कोचिंग के सभागृह में 3 फरवरी को आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र शर्मा ने की। बैठक में संगठन की इकाई से लेकर राज्य तक निरंतर सक्रियता बढ़ाने, राज्य के साथ सम्बन्ध, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के राज्य द्वारा उत्पीड़न, अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों आदि पर गहन विचार किया गया तथा महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। बैठक के आरंभ में विगत दिनों दिवंगत हुए महत्वपूर्ण लेखकों यथा कृष्णा सोबती, देवीशरण ग्रामीण, इक़बाल मजीद, कमल जैन और फिल्मकार मृणाल सेन को संगठन की ओर से आत्मीय श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
*रज़िया, कैफ़ी, नेमिचंद जैन और राहुल सांकृत्यायन पर कार्यक्रम*
बैठक में निर्णय लिया गया कि संगठन द्वारा महत्वपूर्ण साहित्यकारों राहुल सांकृत्यायन, रजिया सज्जाद जहीर, कैफ़ी आज़मी और रंगकर्मी नेमीचंद जैन के जन्मशती वर्ष के अवसर पर इस साल पूरे प्रदेश में इकाई स्तर पर इनके साहित्यिक अवदान को याद करने हेतु परिचर्चाएं आयोजित की जाएंगी तथा प्रमुख शहरों में बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
*वसुधा*
एक महत्त्वपूर्ण निर्णय संगठन की मुखपत्रिका और महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका प्रगतिशील वसुधा के संबंध में भी लेते हुए यह तय किया गया कि अब विनीत तिवारी इसके संपादन और प्रकाशन की जिम्मेदारी देखेंगे। इसी वर्ष सितम्बर में जयपुर में प्रस्तावित संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्व सभी इकाइयों को जीवंत और सक्रिय बनाया जाएगा और संभागीय सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। इस प्रक्रिया को गति प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सचिवमंडल के साथियों के मध्य इकाइयों की जिम्मेदारियों का विभाजन भी किया गया।
*प्रस्ताव*
प्रलेस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। एक प्रस्ताव में हाल के दिनों में देश मे अलग-अलग बहानों से मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले बुद्धिजीवियों, संस्कृतिकर्मियों की प्रताड़ना और गिरफ्तारी आदि की तीव्र भर्त्सना की गई। सरकार से अपील की गई कि वह देश के संविधान में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे और लेखकों, संस्कृति कर्मियों, पत्रकारों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करना बंद करे। दूसरे प्रस्ताव में दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति और प्रशासन को अस्थिर करने के लिये तथा उस देश के विशाल तेल भंडार पर कब्ज़ा करने हेतु अमरीकी सरकार द्वारा किये जा रहे षड्यंत्रों की निंदा की गई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपेक्षा की गई कि वे वेनेजुएला की संप्रभुता और जनादेश की रक्षा हेतु आवश्यक क़दम उठायें।
*कवि गोष्ठी*
कार्यकारिणी बैठक के पश्चात शाम को 4 बजे से एक कविता पाठ का आयोजन भी किया गया जिसमें प्रदेश के कई जिलों से आये कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष, प्रगतिशील वसुधा के पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ कवि राजेन्द्र शर्मा ने की। उन्होंने कवियों का संक्षिप्त परिचय देने के साथ ही गोष्ठी के अंत में कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनीत तिवारी को सर्वसम्मति से प्रगतिशील वसुधा के संपादक बनाये जाने की घोषणा की। राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि हरिशंकर परसाई, कमला प्रसाद और मेरे बाद प्रगतिशील वसुधा 101 वें अंक से विनीत तिवारी के सम्पादन में इंदौर से निकलेगी। विनीत अपनी संपादकीय टीम का गठन करेंगे। हम आशा करते हैं कि वसुधा में कुछ नया जुड़ने के साथ साथ यह अपनी विशिष्टता में वृद्धि भी करेगी।
कवि गोष्ठी में सतना से आये वरिष्ठ कवि बाबूलाल दाहिया के साथ शिवशंकर मिश्र सरस (सीधी), अरुण नामदेव (नागौद), विनीत तिवारी, अभय नेमा, सारिका श्रीवास्तव (इंदौर) शैलेन्द्र शैली, प्रज्ञा रावत, आरती, सत्यम (भोपाल), शशिभूषण (उज्जैन) आदि ने काव्य पाठ किये।
लोक कवि बाबूलाल दाहिया ने कृषि के अंतर्गत किसानी के साथ सामाजिक जीवन में आने वाले, शामिल शब्दों की कविता में जगह, उनकी अहमियत को रेखांकित करते हुए मेहनत, हक़ और मिल जुलकर संघर्ष करने की चेतना से भरी कविताएं सुनाईं। 'पसीना हमरे बद है' और उनकी अन्य मार्मिक कविताओं में श्रमिकों, किसानों के प्रति अटूट लगाव एवं कवि सरोकारों के लिए प्रतिबद्धता दिखी जिसे सुनने वालों ने खूब पसंद किया एवं प्रेरित हुए।
शिवशंकर मिश्र 'सरस' की कविताओं में धार्मिक पाखंड के उद्घाटन के साथ ग्रामीण आदिवासी श्रमिकों की पीड़ा एवं शोषण के प्रति प्रतिकार दिखे। अभय नेमा की कविताओं में कवि की पक्षधरता एवं सरोकारों की गूंज थी। सारिका की कविताओं में स्त्री चेतना के स्वर के साथ इंसानों के लिए संवेदना थी। प्रज्ञा रावत ने पिता भगवत रावत को याद करते हुए कविताएं सुनाईं और श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया। आरती ने छोटी छोटी सहज प्रेम कविताओं के साथ प्रतीकात्मकता से लबरेज़ स्मरणीय कविता का पाठ किया।
शैलेन्द्र शैली की कविताओं में परिवर्तनकामी चेतना, धार्मिक- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अतिचारों के ख़िलाफ़ एकजुटता और संघर्षशीलता का स्वर मुख्य रहा। सत्यम की कविताओं में आसिफा के लिए न्याय को आवाज़ देती कविता ने सबका ध्यान खींचा। शशिभूषण ने 'अरुणाचल' एवं 'रहना मां से दूर' आदि कविताओं का पाठ किया जिन्हें श्रोताओं ने काफ़ी पसंद किया। विनीत तिवारी ने प्रसिद्ध चित्रकार पंकज दीक्षित को समर्पित एक यादगार कविता के साथ रवींद्रनाथ ठाकुर की स्मृति में लिखी कविता और 'जो सिर्फ़ ख़ुशी खोजते हैं उन्हें ख़ुशी कभी नहीं मिलती' कविता का पाठ किया। प्रतिबद्धता, संवेदना, भाषा शिल्प की सादगी के साथ मार्मिकता विनीत की कविताओं की खासियत है। उन्हें बड़ी पसंदगी के साथ सुना गया।
गोष्ठी के अंत में राजेंद्र शर्मा ने 'उठ बहना' को मिलाकर अपनी दो मार्मिक कविताएं सुनायीं। बौद्धिकता से आक्रांत समकालीन कविताओं के दौर में राजेंद्र शर्मा की कविताओं ने पीछे छूटती जा रही मार्मिक कविताई का एहसास कराया।
इस अवसर पर राजेन्द्र शर्मा, अध्यक्ष ने प्रलेसं मध्यप्रदेश की ओर से सभी का आभार जताया एवं इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए देवास इकाई को धन्यवाद दिया। इस एकदिवसीय कार्यकारिणी की बैठक एवं कवि गोष्ठी का संयोजन मेहरबान सिंह, अर्चना मित्तल, इक़बाल मोदी ने किया। गोष्ठी का संचालन किया अर्चना मित्तल ने। उपस्थित साहित्यकारों-कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों में प्रकाश कान्त, राजनारायण बोहरे, मुकेश बिजोले, सचिन श्रीवास्तव, एस के दुबे, अशोक दुबे, विक्रम सिंह गोहिल, ओम वर्मा, प्रताप राव कदम, विक्रम सिंह, चिराग, संदीप नाइक, बहादुर पटेल, ज्योति देशमुख, अमेय कांत, दिनेश पटेल, मनीष आदि रहे। बैठक एवं कवि गोष्ठी को सफल बनाने में श्री मेहरबान सिंह सहित देवास इकाई के साथियों ने अथक परिश्रम किया।
*रिपोर्ट: शशिभूषण और सत्यम*
देवास, 4 फरवरी, 2019
साहित्य, संस्कृति और कला के प्रश्नों पर निरंतर सक्रिय मप्र प्रगतिशील लेखक संघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक देवास के चामुण्डा कॉम्प्लेक्स में स्थित ईटी कोचिंग के सभागृह में 3 फरवरी को आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र शर्मा ने की। बैठक में संगठन की इकाई से लेकर राज्य तक निरंतर सक्रियता बढ़ाने, राज्य के साथ सम्बन्ध, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के राज्य द्वारा उत्पीड़न, अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों आदि पर गहन विचार किया गया तथा महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। बैठक के आरंभ में विगत दिनों दिवंगत हुए महत्वपूर्ण लेखकों यथा कृष्णा सोबती, देवीशरण ग्रामीण, इक़बाल मजीद, कमल जैन और फिल्मकार मृणाल सेन को संगठन की ओर से आत्मीय श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
*रज़िया, कैफ़ी, नेमिचंद जैन और राहुल सांकृत्यायन पर कार्यक्रम*
बैठक में निर्णय लिया गया कि संगठन द्वारा महत्वपूर्ण साहित्यकारों राहुल सांकृत्यायन, रजिया सज्जाद जहीर, कैफ़ी आज़मी और रंगकर्मी नेमीचंद जैन के जन्मशती वर्ष के अवसर पर इस साल पूरे प्रदेश में इकाई स्तर पर इनके साहित्यिक अवदान को याद करने हेतु परिचर्चाएं आयोजित की जाएंगी तथा प्रमुख शहरों में बड़े कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
*वसुधा*
एक महत्त्वपूर्ण निर्णय संगठन की मुखपत्रिका और महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका प्रगतिशील वसुधा के संबंध में भी लेते हुए यह तय किया गया कि अब विनीत तिवारी इसके संपादन और प्रकाशन की जिम्मेदारी देखेंगे। इसी वर्ष सितम्बर में जयपुर में प्रस्तावित संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्व सभी इकाइयों को जीवंत और सक्रिय बनाया जाएगा और संभागीय सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। इस प्रक्रिया को गति प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सचिवमंडल के साथियों के मध्य इकाइयों की जिम्मेदारियों का विभाजन भी किया गया।
*प्रस्ताव*
प्रलेस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। एक प्रस्ताव में हाल के दिनों में देश मे अलग-अलग बहानों से मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले बुद्धिजीवियों, संस्कृतिकर्मियों की प्रताड़ना और गिरफ्तारी आदि की तीव्र भर्त्सना की गई। सरकार से अपील की गई कि वह देश के संविधान में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे और लेखकों, संस्कृति कर्मियों, पत्रकारों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करना बंद करे। दूसरे प्रस्ताव में दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति और प्रशासन को अस्थिर करने के लिये तथा उस देश के विशाल तेल भंडार पर कब्ज़ा करने हेतु अमरीकी सरकार द्वारा किये जा रहे षड्यंत्रों की निंदा की गई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपेक्षा की गई कि वे वेनेजुएला की संप्रभुता और जनादेश की रक्षा हेतु आवश्यक क़दम उठायें।
*कवि गोष्ठी*
कार्यकारिणी बैठक के पश्चात शाम को 4 बजे से एक कविता पाठ का आयोजन भी किया गया जिसमें प्रदेश के कई जिलों से आये कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष, प्रगतिशील वसुधा के पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ कवि राजेन्द्र शर्मा ने की। उन्होंने कवियों का संक्षिप्त परिचय देने के साथ ही गोष्ठी के अंत में कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनीत तिवारी को सर्वसम्मति से प्रगतिशील वसुधा के संपादक बनाये जाने की घोषणा की। राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि हरिशंकर परसाई, कमला प्रसाद और मेरे बाद प्रगतिशील वसुधा 101 वें अंक से विनीत तिवारी के सम्पादन में इंदौर से निकलेगी। विनीत अपनी संपादकीय टीम का गठन करेंगे। हम आशा करते हैं कि वसुधा में कुछ नया जुड़ने के साथ साथ यह अपनी विशिष्टता में वृद्धि भी करेगी।
कवि गोष्ठी में सतना से आये वरिष्ठ कवि बाबूलाल दाहिया के साथ शिवशंकर मिश्र सरस (सीधी), अरुण नामदेव (नागौद), विनीत तिवारी, अभय नेमा, सारिका श्रीवास्तव (इंदौर) शैलेन्द्र शैली, प्रज्ञा रावत, आरती, सत्यम (भोपाल), शशिभूषण (उज्जैन) आदि ने काव्य पाठ किये।
लोक कवि बाबूलाल दाहिया ने कृषि के अंतर्गत किसानी के साथ सामाजिक जीवन में आने वाले, शामिल शब्दों की कविता में जगह, उनकी अहमियत को रेखांकित करते हुए मेहनत, हक़ और मिल जुलकर संघर्ष करने की चेतना से भरी कविताएं सुनाईं। 'पसीना हमरे बद है' और उनकी अन्य मार्मिक कविताओं में श्रमिकों, किसानों के प्रति अटूट लगाव एवं कवि सरोकारों के लिए प्रतिबद्धता दिखी जिसे सुनने वालों ने खूब पसंद किया एवं प्रेरित हुए।
शिवशंकर मिश्र 'सरस' की कविताओं में धार्मिक पाखंड के उद्घाटन के साथ ग्रामीण आदिवासी श्रमिकों की पीड़ा एवं शोषण के प्रति प्रतिकार दिखे। अभय नेमा की कविताओं में कवि की पक्षधरता एवं सरोकारों की गूंज थी। सारिका की कविताओं में स्त्री चेतना के स्वर के साथ इंसानों के लिए संवेदना थी। प्रज्ञा रावत ने पिता भगवत रावत को याद करते हुए कविताएं सुनाईं और श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया। आरती ने छोटी छोटी सहज प्रेम कविताओं के साथ प्रतीकात्मकता से लबरेज़ स्मरणीय कविता का पाठ किया।
शैलेन्द्र शैली की कविताओं में परिवर्तनकामी चेतना, धार्मिक- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अतिचारों के ख़िलाफ़ एकजुटता और संघर्षशीलता का स्वर मुख्य रहा। सत्यम की कविताओं में आसिफा के लिए न्याय को आवाज़ देती कविता ने सबका ध्यान खींचा। शशिभूषण ने 'अरुणाचल' एवं 'रहना मां से दूर' आदि कविताओं का पाठ किया जिन्हें श्रोताओं ने काफ़ी पसंद किया। विनीत तिवारी ने प्रसिद्ध चित्रकार पंकज दीक्षित को समर्पित एक यादगार कविता के साथ रवींद्रनाथ ठाकुर की स्मृति में लिखी कविता और 'जो सिर्फ़ ख़ुशी खोजते हैं उन्हें ख़ुशी कभी नहीं मिलती' कविता का पाठ किया। प्रतिबद्धता, संवेदना, भाषा शिल्प की सादगी के साथ मार्मिकता विनीत की कविताओं की खासियत है। उन्हें बड़ी पसंदगी के साथ सुना गया।
गोष्ठी के अंत में राजेंद्र शर्मा ने 'उठ बहना' को मिलाकर अपनी दो मार्मिक कविताएं सुनायीं। बौद्धिकता से आक्रांत समकालीन कविताओं के दौर में राजेंद्र शर्मा की कविताओं ने पीछे छूटती जा रही मार्मिक कविताई का एहसास कराया।
इस अवसर पर राजेन्द्र शर्मा, अध्यक्ष ने प्रलेसं मध्यप्रदेश की ओर से सभी का आभार जताया एवं इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए देवास इकाई को धन्यवाद दिया। इस एकदिवसीय कार्यकारिणी की बैठक एवं कवि गोष्ठी का संयोजन मेहरबान सिंह, अर्चना मित्तल, इक़बाल मोदी ने किया। गोष्ठी का संचालन किया अर्चना मित्तल ने। उपस्थित साहित्यकारों-कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों में प्रकाश कान्त, राजनारायण बोहरे, मुकेश बिजोले, सचिन श्रीवास्तव, एस के दुबे, अशोक दुबे, विक्रम सिंह गोहिल, ओम वर्मा, प्रताप राव कदम, विक्रम सिंह, चिराग, संदीप नाइक, बहादुर पटेल, ज्योति देशमुख, अमेय कांत, दिनेश पटेल, मनीष आदि रहे। बैठक एवं कवि गोष्ठी को सफल बनाने में श्री मेहरबान सिंह सहित देवास इकाई के साथियों ने अथक परिश्रम किया।
*रिपोर्ट: शशिभूषण और सत्यम*
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