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बुधवार, 9 सितंबर 2020

अवतार सिंह संधू ‘पाश’ की 70 वीं जयंती पर विशेष

09 सितंबर, 2020

पाश : मेरे पिता - विंकल संधू

(मूल अंग्रेजी से अनुवाद - शेखर मल्लिक)

 

हम दोनों का साथ का सफ़र झटके से और क्रूरता से खत्म कर दिया गया. बुधवार, 23 मार्च, 1988 को, खालिस्तानियों के एक समूह ने मेरे पिता की हत्या कर दी. लेकिन, वे कभी पाश के अस्तित्व के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से: उनका विश्वास, विचारधारा और चेतना को छू भी नहीं सके. विंकल संधू (पाश की बेटी) 

विंकल संधू 


बत्तीस साल बाद
, मेरे पिता लोगों के दिलों में रहते हैं और उन्हें प्रेरित करते हैं, बहसों को सुलगाते हैं, विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं और अक्सर अनुसंधानकर्ताओं की पीएचडी का विषय हैं । आज भी, उनकी कविता युवाओं के जीवन को बदलती है और लडकों और लडकियों को उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित करती है । यह कहने की जरूरत नहीं, मुझे इस क्रांतिकारी, ताकतवर, प्रभावशाली, प्रगतिशील और साहसी कवि की बेटी होने का गर्व है ।

मेरा जन्म जनवरी 1981 में तलवंडी सलेम (जालंधर) के एक छोटे से गाँव में हुआ था । वह ऐसा समय था, जब लोग बेटी के जन्म पर आँसू बहाते थे । लेकिन एक मेरे पिता थे - मेरे इस दुनिया में आने का जश्न मनाते, हमारे गाँव में सब को मिठाई बांटते और स्पीकर पर ज़ोर से संगीत बजाते ! उनकी खुशी पर कई लोग हैरान थे, लेकिन सिर्फ वही एक बेटी के जन्म की खूबसूरती, निष्कपटता और मूल्य को और वह एक परिवार में क्या लाती है, इस बात को, समझते थे ।

मैं सात साल की थी, जब वह त्रासदी घटी थी । पहली कक्षा में पढ़ने वाली मैं, मुझे यह महसूस नहीं हुआ कि यह पंजाब के लिए कितना बड़ा नुकसान है । मुझे सिर्फ इतना पता था कि मैं कभी भी अपने पिता की बाहों में दौड़कर नहीं जा पाऊंगी, या उनकी आवाज सुन सकूंगी, हम आपस में अपनी उपलब्धियां साझा कर सकेंगे, या उनके द्वारा दुलारी जा सकूंगी । धीरे-धीरे, यादें फीकी पड़ती गईं । 

ज्यों-ज्यों मैं बड़ी होती गयीमेरे परिवार ने मुझे उन्हें समझने में मदद की । वे कौन थे, एक पिता के रूप में, ज्यादा तो एक लेखक के रूप में । मेरी चाची पम्मी और राजिंदरअजीत और सुच्चा चाचा लोगमेरी माँमेरी दादी और मेरे पिता के कुछ सबसे करीबी दोस्तों - सुरिंदर धनजलचमन लालसुखविंदर कंबोज और अमरजीत चंदनउनमें से कुछ हैं – ने मुझे बताया कि मेरे पिता कैसे थे और आज मैं महसूस करती हूँ कि भले ही वे हमारे साथ नहीं हैमैं उन्हें जानती हूँ । मैं अपने दादा मेजर सोहन सिंह संधू की हमेशा कर्ज़दार हूँजो मेरे पिता के बारे में बताने के लिए मेरे लिए सबसे अच्छे स्त्रोत थे । पापा की मृत्यु के बादवही मेरे लिए पिता की तरह थे ।

पिछले तीन दशकों में, दुनिया भर से मेरे पास लोग आए हैं, यह बताने कि वे मेरे पिता को कितना प्यार और आदर करते है । कहने की जरूरत नहीं कि, इससे मैं बहुत गर्व महसूस करती हूँ, कृतज्ञता से अवाक और उनके सभी उदगारों से स्तब्ध होती हूँ । जब भी मैं तलवंडी सलेम वापस जाती हूँ, तो मुझे हमारे घर में रहने, खेतों को देखने और महसूस करने, जिन खेतों से वे इतना प्यार करते थे, और साधारण ‘पिंडका (ग्राम्य) जीवन जीने, जिसके बारे में उन्होंने लिखा था, में बहुत खुशी मिलती है । मैं इन क्षणों को उनके पोते-पोतियों के साथ बाँटने के लिए उतावली हूँ।

दुनिया भर में जितने भी कविता उत्सवों में मैंने जब भी भाग लिया है, उनमें पाश के लिए एक समर्पित खंड रहता है, और हमेशा एक प्रशंसक, उनमें यकीन करने वाला या उत्साही आदमी मिलता है जो उनकी कविता से जुड़ना चाहता है और उसके नक्शेकदम पर चलना चाहता है । अंतर्राष्ट्रीय पाश मेमोरियल ट्रस्ट जैसे संगठनों और दुनिया भर के रेडियो और टीवी चैनलों ने पाश की कविता को जिंदा रखने में मदद की है।

पाश: नन्हीं विंकल के साथ 

जैसे-जैसे साल बीतते गये, मैंने अपने बच्चों, अरमान और अनायत को उनके दादा के बारे में बताते हुए अपने दादाजी की जगह ले ली, और सुनिश्चित करती हूँ कि वे जानें कि वे वास्तव में कौन थे, उनका महत्व, और वह दुनिया के पढ़ने और अनुभव करने के लिए कितनी ताकतवर कविता पीछे छोड़ गए हैं

यदि वे आज जीवित होते, तो मुझे लगता है कि मेरा परिवार बहुत अलग जीवन जी रहा होता, लेकिन मैं उनके शब्दों और विचारधारा के अनुसार जीने की पूरी कोशिश करती हूँ ।

मेरे पिता की कुछ कविताओं ने मुझे अपने जीवन के कुछ सबसे कठिन फैसलों में राह दिखाई है और मैं हमेशा उनकी कृतज्ञ रहूँगी । उन्होंने मुझे उस महिला के रूप में भी तराशा है, जो मैं आज हूँ । उन्होंने मुझे और मेरी माँ को अपने शब्दों के जरिए जीते जाने की शक्ति दी है ।

मेरे लिविंग रूम में उनका चित्र उनकी कविता “सब तों खतरनाक” के ठीक बगल में टंगा हुआ है । मुझे लगता है कि वह हमें रोज देखते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम किसी को अपने ख्वाबों को नष्ट नहीं करने देंगे । जब हाल ही में एक दुर्गम लगती चुनौती का सामना करना पड़ा, तो इस कविता ने मुझे आगे बढ़ने को सहारा दिया, जैसे मेरे पंखों के तले की हवा बनकर.

उसके नन्हें हाथों को केक काटने में कठनाई हो रही थी. वह मोमबत्तियों को देख दंग रह गयी थी, पहले जलाई और फिर फूंक मारकर बुझा दिया. विंकल एक साल की हुई थी. अड़तीस सर्दियों पहले, पाश ने अपनी बेटी के पहले जन्मदिन पर डायरी में लिखा था. कुछ महीनों बाद, वे खुशी मना रहे थे जिस तरह वह अचानक नये शब्दों को पकड़ने लगी थी. पाश ने इसे उसका मानव भाषा पर पकड़ हासिल करना कहा था.

पाश की कविता राहत और ताकत देती है, आगे जाने की उम्मीद और उर्जा देती है और अगली पीढ़ी को अपना खुद का रास्ता तलाशने के लिए राह दिखाती है. ऐसी ताकतवर और तरक्कीपसंद कविता को स्वीकार  करना, उसका उत्सव मनाना और उसे जिया जाना चाहिए, और ऐसा हुआ है ।

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अवतार सिंह संधू ‘पाश’

जन्म: 9 सितंबर, 1950 । जन्म-स्थान: तलवंडी सलेम नामक गाँव, तहसील नकोदर, जिला जालंधर (पंजाब)। 20 वीं सदी के आठवें और नवें दशक में उभरे पंजाबी के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कवि । नक्सलवाड़ी आन्दोलन से प्रभावित पाश अपनी प्रतिरोध की कविता के लिए जाने जाते हैं. उनकी कविताओं के संग्रह हैं – “लौह कथा” (1970), “उड्डदे बाजाँ मगर” (1974), “साडे समियाँ विच” (1978), लड़ांगे साथी (1988), खिल्लरे होए वर्के. देश – विदेश की अनेक भाषाओँ में पाश की कविताओं का अनुवाद हुआ है. युवा वर्ग के चहेते क्रांतिकारी कवि हैं. 23 मार्च, 1988 को मात्र 38 साल की उम्र में खालिस्तानी अलगाववादियों द्वारा उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. 

                                


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