तुझे गीत में जो बुला गए,
वो न जाने किसके गले लगे
वो न जाने किसको सुहा गए !
मुझे कितना कितना दुख गई,
मेरे दिल को छलनी बना गई -
वही टीस सी, वही आह सी
जिसे हम जरा सा दबा गए !
हमें 'शम्स' पर बड़ा नाज़ था,
उन्हें हम समझते थे पारसा,
मगर आखिर-आखिरे-इम्तहां
वही अपना रंग दिखा गए !
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